छोटे शहरों में चलेगी Lite Metro, जानिए क्या आपके शहर का भी लिस्ट में है नाम
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी जोर दिया है. सरकार चाहती है कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में मेट्रो नियो (Metroneo) और मेट्रो लाइट (MetroLite) की शुरुआत की जाए जिससे छोटे शहरों का भी ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हो.
छोटे शहरों के लिए MetroNeo और MetroLite बिछाने की तैयारी हो रही है. (फाइल फोटो)
छोटे शहरों के लिए MetroNeo और MetroLite बिछाने की तैयारी हो रही है. (फाइल फोटो)
दिल्ली और दूसरे शहरों में मेट्रो की सफलता के बाद सरकार छोटे शहरों में भी इस तरह के प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है. इसे मेट्रो नियो और मेट्रो लाइट नाम दिया गया है. खास बात ये है कि मेट्रो के मुकाबले ये आधे से भी कम खर्च में बनेंगी. ये projects छोटे शहरों के लिए फायदेमंद होंगे वहीं इससे मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा मिलेगा.
टियर-2 , टियर-3 शहरों में मेट्रो जैसी सुविधाएं (Metro like facilities in Tier-2, Tier-3 cities)
मेट्रो जैसी सुविधाओं का मजा अब छोटे शहरों के लोग भी उठा पाएंगे. इस बार के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी जोर दिया है. सरकार चाहती है कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में मेट्रो नियो (Metroneo) और मेट्रो लाइट (MetroLite) की शुरुआत की जाए जिससे छोटे शहरों का भी ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हो. इसका सीधा फायदा इन शहरों में रहने वाले लोगों को होगा.
मेट्रो नियो और मेट्रो लाइट ही क्यों? (Why Metro Neo and Metro Light?)
इनको बनाने में खर्च सामान्य मेट्रो के मुकाबले काफी कम आता है. अभी एक एलिवेटेड मेट्रो को बनाने में प्रति किलोमीटर का खर्च 300-350 करोड़ रुपये आता है. अंडरग्राउंड में यही लागत 600-800 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है. जबकि एक मेट्रो नियो या मेट्रो लाइट के लिए 200 करोड़ तक का ही खर्च आता है.
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देश भर में बिछेगा मेट्रो का जाल (Metro network will spread across the country)
सरकार देशभर में मेट्रो नेटवर्क का जाल बिछाना चाहती है. सरकार की योजना है कि आने वाले 3-4 साल में 50 से ज्यादा शहरों में मेट्रो सर्विस शुरू की जाएगी. इतने बड़े पैमाने पर मेट्रो का जाल बिछाना एक चुनौती है, जिसे सरकार मेट्रो लाइट और मेट्रो नियो के जरिए पूरा करेगी.
इन शहरों के लिए मिले प्रस्ताव (Proposals received for these cities)
सरकार को गोरखपुर, प्रयागराज, जम्मू, श्रीनगर, राजकोट, बड़ौदा, देहरादून, कोयम्बटूर, भिवाड़ी जैसे शहरों से मेट्रो नियो और मेट्रो लाइट के प्रस्ताव मिले हैं. नासिक में मेट्रो नियो का प्रस्ताव काफी पहले मिला हुआ है, जिसपर शहरी विकास मंत्रालय विचार कर रहा है.
सस्ते में मिलेगा शानदार सफर (Chance to have a cheap trip)
मेट्रो नियो (Metroneo) और मेट्रो लाइट (MetroLite) को छोटे शहरों के लिए खासतौर पर शुरू किया जाएगा. चूंकि इसे बनाने में काफी कम लागत आएगी, इसलिए सफर भी काफी सस्ता होगा. इसमें यात्रियों की क्षमता सामान्य मेट्रो से कम होगी, इसके लिए सड़क से अलग एक डेडिकेटेड कॉरिडोर तैयार किया जाएगा. इस मेट्रो सिस्टम से छोटे शहर के लोगों को भी सड़क के जाम से निजात मिलेगी.
कौन बनाएगा मेट्रो नियो, मेट्रो लाइट (Who will make Metro Neo, Metro Light)
इस नए तरह की मेट्रो के बनाने के लिए पिछले दिनों पुणे में शहरी विकास मंत्रालय सेक्रेटरी ने मेट्रो कोच बनाने वाली कपनियों के साथ अहम मीटिंग की. इसमें बॉम्बार्डियर, सीमेंस, एल्सटॉम, टीटागढ़ वैगंस, BEML, Bell, टाटा मोटर्स, Daimler, मैल्को, ABB, टूलटेक के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. सरकार इन कंपनियों से बोलियां मंगवाएगी. सरकार के टेंडर में मेक इन इंडिया का एक स्पेशल क्लॉज भी रखा जाएगा. आपको बता दें कि टीटागढ़ वैगंस तो अभी एल्यूमीनियम आधारित मेट्रो कोच पुणे को जून तक सौंप भी रही है.
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05:09 PM IST